हर साल 28 सितंबर को गनर्स डे के रूप में मनाया जाता है। पहली भारतीय
आर्टिलरी यूनिट के रूप में रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी के इतिहास में इसका विशेष
महत्व है। 5 (बाम्बे) माउंटेन बैटरी से लैस 2.5 इंच आरएमएल गन 1827 में
इसी दिन बनाई गई थी। रेजिमेंट इस दिन को हर साल गनर्स डे के रूप में मनाती
है।
आर्टिलरी भारत में पहली बार 14वीं सदी में उपयोग की गई थी जिसे विजयनगर साम्राज्य के विरुद्ध डेक्कन युद्ध में बहमनी बादशाहों ने उपयोग किया था। मुगल काल के दौरान यह फौज बढ़ी और बाद में मराठों, हैदर अली, टीपू सुल्तान तथा महाराजा रणजीत सिंह के समय सिखों के शासन के दौरान आर्टिलरी बहुत महत्वपूर्ण हो चुकी थी।
1947-48, 1962, 1965, 1971 और 1999 में भी अपना महत्व सिद्ध किया। करगिल युद्ध के बाद आर्टिलरी का महत्व और बढ़ा तथा व्यापक रेंज के हथियारों के साथ यह अब आर्म ऑफ डिसिजन का महत्व हासिल कर चुकी है।
इस अवसर पर रेजीमेंट के सभी रैंक खुद को सेना और राष्ट्र सेवा में समर्पित करने का प्रण लेते हैं।
Source :PIB
आर्टिलरी भारत में पहली बार 14वीं सदी में उपयोग की गई थी जिसे विजयनगर साम्राज्य के विरुद्ध डेक्कन युद्ध में बहमनी बादशाहों ने उपयोग किया था। मुगल काल के दौरान यह फौज बढ़ी और बाद में मराठों, हैदर अली, टीपू सुल्तान तथा महाराजा रणजीत सिंह के समय सिखों के शासन के दौरान आर्टिलरी बहुत महत्वपूर्ण हो चुकी थी।
1947-48, 1962, 1965, 1971 और 1999 में भी अपना महत्व सिद्ध किया। करगिल युद्ध के बाद आर्टिलरी का महत्व और बढ़ा तथा व्यापक रेंज के हथियारों के साथ यह अब आर्म ऑफ डिसिजन का महत्व हासिल कर चुकी है।
इस अवसर पर रेजीमेंट के सभी रैंक खुद को सेना और राष्ट्र सेवा में समर्पित करने का प्रण लेते हैं।
Source :PIB
No comments:
Post a Comment